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Wednesday 30 November 2016

जनक छन्द / महावीर उत्तरांचली

महावीर उत्तरांचली
 







जनक छन्द
1.
वफ़ादार ये नैन हैं
हाल सखी जाने नहीं
साजन तो बेचैन हैं
2.
राजनीति सबसे बुरी
रेखांकन : किशोर श्रीवास्तव
‘महावीर’ सब पर चले
ये है दो धारी छुरी
3.
शांति-धैर्य गुमनाम है
मानवता दिखती नहीं
बस! कत्ल सरेआम है
  •  बी-4/79, पर्यटन विहार, वसुन्धरा एन्क्लेव, नई दिल्ली

2 comments:

  1. यह रचनाएँ "अविराम साहित्यिकी" (संपादक: उमेश महादोषी) में प्रकाशित हुई थी।

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  2. Waah waah behad sundar chhand
    Padhat sunat hua harsh aru aaya anand
    Https://nkutkarsh.blogspot.com

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